Hyundai IPO: भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनियों में से दूसरी सबसे बड़ी कंपनी हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड के IPO के लिस्टिंग की तारीख 22 अक्टूबर है। बता दें की कुछ दिनों से लिस्टिंग की बात से शेयर बजार में इस कंपनी के शेयरों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। इस स्थिति को देखकर सभी निवेशकों को एक अलग ही अनुभव मिल रहा है जिसमे उन्होंने इस शेयर में निवेश करने को लेकर अपनी अलग-अलग राय दी थी। आइए जानते है इसके बारे मेंं।
निवेशक थे उत्साहित
हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड दक्षिण कोरियाई ऑटोमोबाइल निर्माता हुंडई मोटर कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली भारतीय सहायक कंपनी है। इस कंपनी के शेयरों को लेकर हर निवेशक शुरुआत से ही काफी उत्साहित थी क्योंकि करीब दो दशक बाद कोई ऑटो मेकर IPO लाकर शेयर मार्केट में लिस्ट हो रही थी। आखरी बार ऑटो मेकर सेक्टर में वर्ष 2003 मे मारुति सुजुकी ने अपना IPO पेश किया था जिसके बाद करीब अब 20 साल बाद कोई ऑटो मेकर सेक्टर कंपनी अपना IPO ला कर लिस्टिंग हो रही है।
कैसा रहा IPO?
22 अक्टूबर को हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड ने अपनी शुरुआत की, इस कंपनी का इश्यू प्राइस ₹1,960 था पर इस कंपनी के शेयर BSE पर ₹1,931 के भाव पर लिस्ट हुए जो की इश्यू प्राइस से 1.47% कम था। शुरुआत में शेयर थोड़े बढ़े और ₹1,968.80 तक पहुंच गए लेकिन बाद में यह गिर 7.16% गए और ₹1,819 पर आ गए। NSE पर भी शेयर की शुरुआत इश्यू प्राइस से 1.32% कम थी बाद में ट्रेडिंग में गिरावट आई और मार्केट कैप बाजार बंद होने तक NSE पर ₹1,49,913.85 करोड़ पर पहुंच गया।
क्या करती है यह कंपनी?
हुंडई मोटर कंपनी एक विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ऑटोमोबाइल निर्माता के रूप में उभरी है जो अपने ब्रांडेड वाहनों को 200 से अधिक देशों में निर्यात करती है। यह दुनिया भर में उत्पादन ठिकानों से सुसज्जित है। 1 दिसंबर, 2023 तक, हुंडई मोटर इंडिया के भारत में 1,031 शहरों और कस्बों में 1,366 बिक्री आउटलेट और भारत में 962 शहरों और कस्बों में 1,550 सेवा केंद्र थे। परिचालन से कंपनी का राजस्व लगातार बढ़कर 2021 में 40,972.25 करोड़ रुपये से 2022 में 47,378.43 करोड़ रुपये और 2023 में 60,307.58 करोड़ रुपये हो गया।
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कब हुआ था कंपनी का सब्सक्रिप्शन?
हुंडई मोटर इंडिया का IPO 15 अक्टूबर को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला और 17 अक्टूबर को बंद हुआ था। इस IPO की आवंटन तिथि 18 अक्टूबर थी और इस हुंडई IPO लिस्टिंग की तारीख 22 अक्टूबर है। करीब 20 साल बाद हुए इस IPO ऑटो मेकर सेक्टर होने के कारण यह कंपनी और इसके शेयर चर्चा का विषय बन गया है। हुंडई मोटर इंडिया के शेयर BSE और NSE पर सूचीबद्ध होंगे। हुंडई IPO का मूल्य बैंड ₹1,865 से ₹1,960 प्रति शेयर निर्धारित किया गया था। मूल्य बैंड के ऊपरी छोर पर, कंपनी ने IPO से ₹27,870.16 करोड़ जुटाए, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा IPO बन गया।
Hyundai IPO: ग्रे मार्केटिंग में प्रभाव
ग्रे मार्केट में हुंडई मोटर इंडिया के शेयरो में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है जिसे देखकर निवेशकों को आशंका हो रही है लेकिन फिर भी कंपनी के शेयरों ने अपनी अच्छी पकड़ शेयर बाजार में बनाई हुई है। शेयर बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले हफ्ते नकारात्मक आंकड़े पर पहुंचने के बाद, सोमवार, 21 अक्टूबर को हुंडई IPO GMP ₹ 65-70 प्रति शेयर के दायरे में है। इससे पता चलता है कि ग्रे मार्केट में हुंडई मोटर इंडिया के शेयर अपने इश्यू प्राइस से ₹ 70 अधिक पर कारोबार कर रहे हैं जो की निवेशकों के लिये एक अच्छी खबर साबित हो रही है।
बता दें की शुक्रवार को करोबार के बंद होने और शेयरों के निचले स्तर पर खिसकने को देखकर ऐसा ही लग रहा था की हुंडई मोटर इंडिया के इश्यू को देश का सबसे बड़ा IPO बताकर जोरशोर से प्रचारित किया गया। लेकिन, IPO सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने पर निवेशकों ने अच्छी प्रतिक्रिया नहीं दी। खासकर, रिटेल इन्वेस्टर्स ने उनके लिए रिजर्व हिस्सा महज 50 फीसदी ही सब्सक्राइब हुआ। लेकिन सोमवार के इस कारोबारी दिन की शुरुआत ने सभी को गलत साबित कर दिया और आखिरी दिन तक यह पब्लिक इश्यू ओवरऑल 2.37 गुना बढ़ गया।
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कितना था प्राइस बैंड?
कंपनी ने ऑफर फॉर सेल के तहत IPO के जरिए 27870 करोड़ रुपये जुटाये हैं। कंपनी ने 10 रुपये के फेस वैल्यू पर 1865 से 1960 रुपये IPO का प्राइस बैंड निर्धरित किया था। BSE के डेटा के के अनुसार IPO 2.37 गुना सब्सक्राइब हुआ था। IPO के पूरी तरह सब्सक्राइब होने का श्रेय केवल संस्थागत निवेशकों को जाता है क्योंकि संस्थागत निवेशकों के लिए रिजर्व कोटा कुल 6.97 गुना सब्सक्राइब हुआ है जबकि गैर संस्थागत निवेशकों का कैटगरी 0.60 गुना और रिटेल निवेशकों का 0.50 गुना ही सब्सक्राइब हो सका जिससे जितने की उम्मीद इस IPO से जताई गई थी उतना नहीं लेकिन अच्छा माना जा रहा था।
रिटेल निवेशकों ने नहीं दिखाई दिलचस्पी
शेयर बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार हाई वैल्यूएशन की वजह से रिटेल निवेशकों ने इस IPO से दूरी बनाई। इसके अलावा घटते ग्रे मार्केट प्रीमियम और त्यौहारों में ऑटो इंडस्ट्री की कमजोर डिमांड ने भी निवेशकों को IPO पर दांव लगाने से पहले सोचने को मजबूर कर दिया। रिटेल निवेशकों ने इस पर इसलिए भी दिलचस्पी नहीं दिखाई क्योंकि करीब दो दशक के बाद किसी ऑटो मेकर सेक्टर ने अपना IPO लाया है इसलिए निवेश उत्साहित होने के साथ-साथ इसमें सोच समझ कर निवेश कर रहे हैं।
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