Hamida Banu Google Doodle: आइए जाने भारत की पहली महिला पहलवान, जिनका वज़न था 108 किलो

 

Hamida Banu Google Doodle

Hamida Banu Google Doodle: गूगल ने आज एक डूडल बनाया है जो की भारत की पहली महिला रेसलर हमीदा बानो (Hamida Banu) का है। यह डूडल खेल जगत की एक ऐसी खतरनाक महिला का है ,जो 1940 और 1950 के दशक में पुरुषों को ओपन चैलेंज देने से पीछे नहीं हटती थी। कभी किसी पुरुष से ना हारने वाली हमीदा बानो खेल जगत की सुप्रसिद्ध महिला रेसलर थी।

Hamida Banu Google Doodle: भारत की महिला पहलवान

1950 के दशक में जब भारत की महिला पहलवानों को कुश्ती लड़ने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था , तब भारत की इस महिला पहलवान ने सभी की बोलती बंद कर दी थी। यूपी के मिर्जापुर में जन्मी हमीदा बानो ने पुरुषों को पहलवानी मे ऐसा पछाड़ा की सभी पुरुष उनसे डरने लगे। जब हमीदा ने अपने परिवार वालों से कुश्ती लड़ने की बात कही, तो परिवार ने उन्हें नकार दिया और बहुत कुछ सुनाने लगे। लेकिन इन सब सोच से परे हमीदा बानो ने अपने जीवन का एक लक्ष्य बना लिया था।

हमीदा का सफर तय हुआ …

परिवार के साथ छोड़ने की वजह से हमीदा ने अपना सफर तय किया और मिर्जापुर से अलीगढ़ चली आईं। यहां सलाम पहलवान से कुश्ती के दांव-पेंच सीखे और मुकाबले मे हिस्सा लेने लगी। पहले तो उन्होंने छोटे-मोटे पहवानों से कुश्ती लड़नी प्रारंभ की फिर बाद मे एसी कुश्ती लड़ी की पुरुषों को भी पीछे छोड़ दिया, पर इन मुकाबलों से उन्हे वह नहीं मिला, जो वो हासिल करना चाहती थीं।

हमीदा बानो का वजन 108 किलो…

हमीदा के पहलवान बनने के बाद उनके दिनचारिया की बात करे तो वह रोजाना 6 लीटर दूध, सवा दो लीटर फलों का जूस, 2.8 लीटर सूप, एक किलो मटन, 450 ग्राम मक्खन, 6 अंडे, लगभग एक किलो बादाम, 2 बड़ी रोटियां और 2 प्लेट बिरयानी खाती थीं। दिन के 24 घंटों में वह 9 घंटे सोती थीं और 6 घंटे एक्सरसाइज करती थी। हमीदा बानो का वजन 108 किलो था और लंबाई 5 फीट 3 इंच थी।

हमीदा की चुनौती, पुरुष पहलवानो के लिए

3 मई 1954 की एक रिपोर्ट के मुताबिक हमीदा बानो और बाबा पहलवान का मुकाबला 1 मिनट 34 सेकेंड चला और हमीदा ने बाबा को धूल चटा दी. इसके साथ ही रेफरी ने ऐलान किया कि ऐसा कोई पुरुष पहलवान नहीं है, जो हमीदा को हराकर उनसे शादी कर पाए। ऐसे में हमीदा की चुनौती आई की जो पुरुष पहलवान उन्हें कुश्ती में हराएगा, वे उनसे शादी कर लेंगी।हमीदा की इस चुनोती के बाद कई पहलवानों ने उनकी चुनौती स्वीकार की लेकिन हमीदा बानो के आगे कोई भी पहलवान  टिक नहीं पाया।

हमीदा बानो का सामना रूस की रेसलर से

हमीदा ने अपना पहला मुकाबला पटियाला कुश्ती चैंपियन से शुरू किया और दूसरा कलकत्ता के कुश्ती चैंपियन से किया था। हमीदा ने दोनों को धूल चटा दी थी। साल 1954 में हमीदा बानो का सामना रूस की रेसलर वेरा चिस्टिलीन से मुंबई में हुआ था। इस मैच में हमीदा ने रूस की फीमेल बियर वेरा चिस्टिलीन को तुरंत ही हरा दिया था। इसके साथ ही उन्होंने उसी साल ये ऐलान किया कि वह भारत से बाहर यूरोप मे जाकर कुश्ती लड़ेगी।

हमीदा का सामना छोटे गामा पहलवान से

हमीदा बानो जब अपने तीसरे मुकाबले के लिए वड़ोदरा ( बड़ौदा ) गई, तब उन्होंने वह देखा की शहर में जगह-जगह उनके पोस्टर लगे थे और साथ ही  बैनर भी लगे थे। उनके मुकाबले की चर्चा सभी जगह हो रही थी। हमीदा का सामना छोटे गामा पहलवान से होना था, जिनका नाम ही काफी था जो की महाराजा बड़ौदा के आश्रय में थे। लेकिन उसी समय छोटे गामा पहलवान यह कहकर मुकाबले से पीछे हट गए कि वह एक महिला से कुश्ती नहीं लड़ेंगे। इसी कारण छोटे गामा पहलवान की जगह बाबा पहलवान से हमीदा का मुकाबला हुआ।

सलाम पहलवान से की शादी

हमीदा ने अपने कोच सलाम पहलवान से शादी की, लेकिन सलाम पहलवान को उनका यह यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने वाला विचार पसंद नहीं आया। उन्होंने मुंबई मे छोटा सा व्यवसाय चालू किया, जिसमे की वे डेरी के व्यवसाय मे व्यस्त रहने लगी लेकिन हमीदा ने यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने की जिद नहीं छोड़ी। सलाम पहलवान ने हमीदा बानो की इतनी पिटाई की कि उनका हाथ -पैर टूट गया और पैर में गंभीर चोटे आई। उन्हे लाठी का सहारा लेना पड़ता था चलने के लिए।

वर्ष 1986 मे मौत गुमनामी में

मौत के कुछ वर्ष पहले सलाम पहलवान अलीगढ़ से लौट आए और हमीदा बानो कल्याण में ही रह रहीं थी, और अपना दूध का व्यवसाय करती थी। कुछ समय के लिए हमीदा बानो ने सड़क किनारे पर खाने का सामान भी बेचा। वर्ष 1986 में उनकी मौत गुमनामी में हो गई।

 

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Rohini Thakur

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