Mayawati: इस लोकसभा चुनाव के नतीजों ने तो सभी को हिला दिया है, जहाँ BJP को इस बार पहले के मुकाबले आधी ही सीट मिली, वहीं उम्मीदों से परे INDIA गठबंधन और भी अलग पार्टियों को पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा सीटें मिली है। इसी बीच सबसे ज्यादा झटका Mayawati की बहुजन समाज पार्टी (BSP) को लगा है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में बसपा का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। जिसमें BSP को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली और मायावती का ग्राफ गिर गया।
Mayawati ने प्रेस रिलीज किया
चुनावी नतीजों के बाद Mayawati ने प्रेस रिलीज पर बताया की ”हमारी पार्टी का शुरू से ही ये मानना रहा है कि, चुनाव बहुत लंबा नहीं होना चाहिए। इसे तीन से चार चरणों में ही पूरा हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बार का चुनाव जोरदार गर्मी की तपिश से प्रभावित रहा, जिससे लोगों के उत्साह पर भी फर्क पड़ा।
ऐसे मे यह उम्मीद की जाती है कि, लोकतंत्र व आमजन के व्यापक हित के मद्देनजर, आगे चुनाव कराते समय चुनाव आयोग द्वारा लोगों की इन खास परेशानियों को जरूर ध्यान में रखा जाएगा। BSP द्वारा उचित प्रतिनिधित्व देने के बाद भी मुस्लिम समाज ने हमारा साथ नहीं दिया। ऐसी स्थिति में आगे इनको काफी सोच समझकर ही मौका दिया जाएगा।”
न एनडीए और न ही विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ Mayawati
मायावती इस बार तमाम अटकलों को अंतत: खारिज करते हुए न एनडीए और न ही विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ रहीं। उनको यह विश्वास था की उनकी पार्टी को हर बार की तहर कुछ ना तो कुछ सीट मिलेगी ही। लोकसभा चुनाव 2024 में BSP को हुए भयंकर नुकसान के बाद पार्टी सुप्रीमो Mayawati ने मुस्लिमों पर निशाना साधते हुए कहा कि बसपा द्वारा उचित प्रतिनिधित्व देने के बाद भी मुस्लिम समाज ने हमारा साथ नहीं दिया।
BSP का जनाधार भी 10 प्रतिशत से कहीं अधिक खिसका
10 सांसदों वाली बसपा से वंचितों के दूर जाने के साथ ही मुस्लिम समाज के भी मायावती संग खड़ा न होने से पार्टी न केवल शून्य पर सिमट कर रह गई है, बल्कि उसका जनाधार भी 10 प्रतिशत से कहीं अधिक खिसक गया है। इससे उन्हें भारी नुकसान हुआ जिससे शायद ही मायावती यह सब समझ चुकी है की यह सब करने से भी उनको या उनकी पार्टी को कोई फायदा नहीं हुया है। मायावती का जाटव बिरादरी से आने के बाद भी अब वह उनसे दूर दिखाई दे रहा है, जबकि जाटव अब तक मायावती के साथ था।
मूल जाटव मतदाताओं को खो दिया
बहुजन समाज पार्टी (BSP) का निराशाजनक प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि पार्टी ने अपने मूल जाटव मतदाताओं को खो दिया है। इसी उपजाति से BSP प्रमुख Mayawati आती हैं। ‘सत्ता की मास्टर चाबी’ की तलाश में मायावती ने 2024 में अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति जरूर बनाई , लेकिन चुनाव परिणाम ने उनकी रणनीति को झटका देने के साथ ही प्रभावशाली दलित नेता की मायावती की छवि पर भी बट्टा लगा दिया है तथा इस चुनाव में BSP को एक भी सीट नहीं मिली जिससे BSP की पार्टी में मातम सा छा गया हैं।
चंद्रशेखर ने दलितों के सामने खुद को एक विकल्प के रूप में पेश किया
इन सभी के बीच आजाद समाज पार्टी के चीफ चंद्रशेखर ने दलितों के सामने खुद को एक विकल्प के रूप में पेश किया है और नगीना लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है। दलित आबादी में 55 फीसदी जाटव मतदाता है, जो कुल आबादी का 11 फीसदी हिस्सा है। बसपा का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला इस लोकसभा चुनाव में उनकी सबसे बड़ी चूक साबित हुई। इसका दलित वोट बैंक पर विपरीत असर हुआ और वर्ष 2014 के चुनाव के मुकाबले पार्टी का करीब दस फीसदी वोट दूसरे दलों में खिसक गया।
2019 में BSP को करीब 10 सीटों के साथ जीत
इससे पहले के लोकसभा के चुनाव वर्ष 2014 में BSP को इस बार की तरह एक भी सीट नहीं मिली थी जबकी इसके बाद के लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में BSP को करीब 10 सीटों के साथ जीत हासिल करने में कामयाब रही थी लेकिन यह भी मुद्दा है की लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में BSP गठबंधन के रूप में सपा व रालोद के साथ चुनाव लड़ रही थी।
4 जून मंगलवार को लोकसभा चुनाव के नतीजों में उत्तरप्रदेश की 80 सीटों में से BJP को 33 सीटें, SP को 37 सीटें, कांग्रेस को 6 सीटें, रालोद को 2 सीटें तथा आजाद समाज पार्टी को 1 और अपना दल (S) ने एक सीट पर जीत दर्ज की है। वही Mayawati के BSP को एक भी सीटें हाथ नहीं लगी।