IIT Bombay: इस साल 31 मार्च में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे में आयोजित संस्थान के परफॉर्मिंग आर्ट्स फेस्टिवल के दौरान ‘राहोवन’ नामक नाटक को IIT बॉम्बे के कुछ छात्रों ने आयोजित किया था। इसे लेकर अब आईआईटी बॉम्बे ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है। एक छात्र पर 1.2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह जुर्माना लगभग एक सेमेस्टर की फीस के बराबर है।
रामायण के पात्रों का उड़ाया मज़ाक
IIT बॉम्बे के छात्रों ने ‘राहोवन’ नामक नाटक में रामायण के पात्रों का मजाक उड़ा रहे थे, अन्य छात्रों के एक ग्रुप ने दावा किया कि इन्होंने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है। इस छात्रों ने आरोप लगाया कि यह हिंदू धर्म के प्रति अपमानजनक है और राम-सीता के प्रति भी अपमानजनक है।
1.20 लाख रूपये का लगाया जुर्माना
इस मामलें के दौरान कम से कम सात अन्य छात्रों को दंडित किया गया साथ ही फाइन भी लिया गया है। एक रिपोर्ट में IIT बॉम्बे के प्रवक्ता ने इस मामले पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना किया है। इस केस में संस्थान ने अनुशासन समिति की बैठक 8 मई को बुलाई थी। IIT बॉम्बे ने 4 जून को जुर्माना नोटिस जारी किया था। जिसमें 1.20 लाख रूपये का जुर्माना लगया और कहा गया कि इस राशि को 20 जुलाई 2024 तक इस मामले में डीन कार्यालय में जमा किया जाए।
सजा का उल्लंघन करने पर आगे और प्रतिबंध
नोटिस जारी करते हुए कहा गया कि इस सजा का उल्लंघन करने पर आगे और प्रतिबंध लगाए जाएंगे। नोटिस को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आईआईटी बी फॉर भारत ने साझा किया, जो आईआईटी बॉम्बे कैंपस का ही एक समूह है और भारतीय सभ्यता के मूल्यों को बनाए रखने का दावा करता है। यह समूह ने पहले नाटक का विरोध किया था लेकिन अब संस्थान की कार्रवाई का समर्थन किया। समूह की पोस्ट में लिखा “इस नाटक में रामायण को अपमानजनक तरीके से दिखाया गया था। इन छात्रों ने भगवान राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण का उपहास करने के लिए शिक्षा की आजादी का दुरुपयोग किया।”
IIT Bombay: क्या था पूरा मामला?
31 मार्च को IIT बॉम्बे के छात्रों ने परफॉर्मिंग आर्ट्स फेस्टिवल (PAF) के “RAAHOVAN” नाटक का प्रदर्शन किया था, जिसमें भगवान राम के चित्रण के दौरान उनकी कथित आलोचना की गई। इस नाटक में feminism (नारीवाद) के मुद्दे को प्रस्तुत करते हुए राम सीता का संवाद पेश किया गया था। लेकिन इसे एक कहानी के तौर पर पेश करने की कोशिश की गई है जिसमें कबीले की कहानी और नाम में परिवर्तन किए गए हैं।
इस नाटक के दौरान रावण वध के बाद सीता माता की जब वापसी होती है, उस वक्त के संवाद को पेश करते हुए ऐसा प्रस्तुत किया गया था कि राम सीता के ऊपर बल प्रयोग करते हुए उन्हें क्यों अपने कबीले का हिस्सा न बनाया जाए इस पर बात करते हैं और सीता अघोरा (रावण के लिए) कहती हैं कि वे असली मर्द है। साथ ही इस कबीले में आज तक ऐसा मर्द नहीं दिखा, इस नाटक में रावण के कृत्यों को जस्टिफाई करने की कोशिश की गई है।