Swami Vivekananda: 4 जुलाई को स्वामी विवेकानन्द की पुण्यतिथि, जानें उनके जीवन से जुड़ी अहम बातें

Swami Vivekananda
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Swami Vivekananda: भारत के लिए 4 जुलाई का दिन एक बहुत बड़ा दुख का दिन है क्योंकी इस दिन भारत के महान पुत्र, वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु Swami Vivekananda की मृत्यु हुई थी। उनकी पुण्यतिथि हर साल भारत 4 जुलाई को मनाता है। स्वामी विवेकानन्द जी एक ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति थे जिनकी केवल बात ही काफी थी, किसी मनुष्य का ह्रदय परिवर्तन करने के लिए। उनके ज्ञान-विज्ञान की पकड़ को केवल भारतवासी ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया के लोग मानते थे, ऐसा कहा जा सकता है की उनके जैसा ज्ञाता पूरी दुनिया में और कही भी नही है।

Swami Vivekananda की कुछ जानकारियाँ निम्न प्रकार है:- 

पूरा नामनरेन्द्रनाथ दत्त
 उपनामस्वामी विवेकानंद
 जन्म12 जनवरी 1863
जन्म स्थानकलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (वर्तमान कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत )
 धर्महिन्दू धर्म
राष्ट्रीयताभारतीय
पिताविश्वनाथ दत्ता
माताभुवनेश्वरी देवी
भाई-बहनउनके नौ भाई-बहनों में से वे एक थे
विद्यालयवेदान्त-योग
  युगआधुनिक दर्शन 19वीं सदी का दर्शन
  क्षेत्रपूर्वी दर्शन भारतीय दर्शन
 रुचिबचपन से ही अध्यात्म में रुचि
साहित्यिक कार्यराज योग, कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग,  मेरा गुरु कोलंबो से अल्मोड़ा तक व्याख्यान
 मृत्यु4 जुलाई 1902
मृत्यु स्थानबेलूर मठ, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (वर्तमान पश्चिम बंगाल, भारत)
मृत्यु की समय उनकी आयु39 वर्ष
मृत्यु का कारणमस्तिष्क में एक रक्त वाहिका के टूटने के कारण
अंतिम संस्कारबेलूर में गंगा नदी के तट पर

स्वामी विवेकानन्द जी का प्रारम्भिक जीवन

Swami Vivekananda का वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था सभी उन्हे प्यार से नरेंदर कहकर पुकारते थे। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 में कलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (वर्तमान कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत ) में एक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था उनके जन्म के समय मकर संक्रांति का उत्सव था, उनके पिता विश्वनाथ दत्ता कलकत्ता उच्च न्यायालय में वकील थे, माता भुवनेश्वरी देवी एक धर्मपरायण गृहिणी थीं तथा उनके दादा दुर्गाचरण दत्ता संस्कृत और फारसी के विद्वान थे। उनके कुल 9 भाई-बहन थे जिनमे से वे एक थे। स्वामी जी के जन्मदिन को पुरे भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मानते हैं।

स्वामी विवेकानन्द जी की शिक्षा 

Swami Vivekananda जी ने 8 वर्ष की आयु से अपनी शिक्षा आरंभ की लेकिन उनके अंदर अभी चीजों को जानने, पड़ने और उनको विचार करने की शुरुआत उन्होंने बचपन से ही कर दी थी। वर्ष 1871 में जब स्वामी जी 8 वर्ष के थे तब उनका दाखिला ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन में हुआ था, यहाँ वे तब तक स्कूल गए जब तक कि उनका परिवार 1877 में रायपुर नहीं चला गया, जिसके बाद स्वामी जी प्रेसीडेंसी कॉलेज प्रवेश परीक्षा में प्रथम श्रेणी के अंक प्राप्त करने वाले एकमात्र छात्र थे जो की वर्ष 1879 में अपने परिवार के कलकत्ता लौटने के बाद की शिक्षा थी।

भारत के ग्रंथों, वेदों और संस्कृति की ओर स्वामी जी का झुकाव

Swami Vivekananda जी को बचपन से ही आध्यात्मिक चीजों को जानने की एक अलग ललक रहती थी जिसके बाद वे आगे चलकर दर्शनशास्त्र, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला के एक शौकीन पाठक बने। उन्होंने सनातन धर्म से जुड़ी हर किताब पढ़ डाली थी जैसे वेदों, उपनिषदों, भगवद गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों सहित हिंदू धर्मग्रंथों की सारी किताब। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।

स्वामी विवेकानन्द जी से उनके गुरु का मिलाप

Swami Vivekananda जी के गुरु का नाम रामकृष्ण है, स्वामी विवेकानन्द जी वर्ष 1881 में उनसे पहली बार मिले थे, जो 1884 में उनके अपने पिता की मृत्यु के बाद उनका आध्यात्मिक केंद्र बन गए। पहले परिचय के दौरान जब रामकृष्ण जनरल असेंबली इंस्टीट्यूशन में एक साहित्य कक्षा में हुआ जब उन्होंने प्रोफेसर विलियम हेस्टी को विलियम वर्ड्सवर्थ की कविता, द एक्सकर्शन पर व्याख्यान दे रहे थे तब उन्हे स्वामी जी ने सुना था।

जिसके बाद उन्होंने उनके इस व्याख्यान को अपने जीवन का एक मुख्य भाग बना लिया जिसके बाद कविता में “ट्रान्स” शब्द की व्याख्या करते हुए, हेस्टी ने सुझाव दिया कि उनके छात्र ट्रान्स का सही अर्थ समझने के लिए दक्षिणेश्वर के रामकृष्ण से मिलें। इसने उनके कुछ छात्रों (नरेंद्र सहित) को रामकृष्ण से मिलने के लिए प्रेरित किया।

मठ की स्थापना

Swami Vivekananda जी के गुरु अर्थात रामकृष्ण को ही अपनी आध्यात्मिक राह मानकर स्वामी जी उनके मठ में ही रह कर आगे की विद्या हासिल कर रहे थे लेकिन रामकृष्ण के मृत्यु के बाद उनके भक्तों और उनके सहयोगों ने उनके मठ में सहयोग करना अर्थात सहयोग राशि देना बंद कर कर दिया था जिसके कारण Swami Vivekananda जी और उनके साथ रह रहे अन्य शिष्यों को रहने के लिए एक नया स्थान ढूंढना पड़ा तथा रामकृष्ण के मठ को त्यागना पड़ा।

मठ को त्यागने के पश्चात सभी शिष्यों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा जिसके कारण बहुत से शिष्यआध्यात्मिक जीवन शैली को त्याग कर अपने-अपने घर लौट गए और पारिवारिक जीवन बिताने लगे लेकिन नरेंद्र ने बचे हुए शिष्यों के लिए बारानगर में एक जीर्ण-शीर्ण घर को एक नए मठ में बदलने का फैसला किया। जिसके बाद सभी शिष्यों ने बारानगर मठ में रह कर आगे की शिक्षा प्राप्त की क्योंकी वहाँ का किराया भी कम था।

स्वामी विवेकानन्द जी की मृत्यु 

जानकारियों के अनुसार, हर दिन की तरह 4 जुलाई को भी Swami Vivekananda जी जल्दी उठे, बेलूर के मठ में गए और तीन घंटे तक ध्यान किया। उन्होंने विद्यार्थियों को शुक्ल-यजुर्वेद , संस्कृत व्याकरण और योग का दर्शन पढ़ाया बाद में सहयोगियों के साथ रामकृष्ण मठ में एक योजनाबद्ध वैदिक कॉलेज पर चर्चा की। 4 जुलाई को ही शाम को करीब 7 बजे वे अपने कमरे में चले गए और उन्होंने सभी शिष्यों से कहा की कोई उन्हे परेशान ना करे जिसके बाद ध्यान करते वक्त करीब 9:20 बजे 39 वर्षीय स्वामी जी की मृत्यु हो गई थी।

उनके शिष्यों के अनुसार ये मृत्यु नहीं थी उन्होंने बताया की Swami Vivekananda जी ने महासमाधि प्राप्त की थी तथा उनके मृत्यु का सभांवित कारण उनके मस्तिष्क में एक रक्त वाहिका के टूटने को बताया गया है। उनके शिष्यों ने बताया की ”स्वामी जी ने कहा था की वे 40 वर्ष तक जीवित नहीं रहेंगे।” उनके इस कथन को भविष्यवाणी मानने वाले शिष्यों ने 16 साल पहले जहां स्वामी विवेकानन्द जी के गुरु का अंतिम संस्कार किया था वहीं बेलूर में गंगा के तट पर चंदन की चिता पर उनका भी अंतिम संस्कार किया था।

प्रधानमंत्री ने दी स्वामी विवेकानंद जी को श्रद्धांजलि 

4 जुलाई को Swami Vivekananda के पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हे श्रद्धांजलि देते हुए X पर पोस्ट करते हुए लिखा है की “मैं स्वामी विवेकानंद को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनकी शिक्षाएं लाखों लोगों को ताकत देती हैं। उनका गहन ज्ञान और ज्ञान की निरंतर खोज भी बहुत प्रेरक है। हम एक समृद्ध और प्रगतिशील समाज के उनके सपने को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।”

Swami Vivekananda के कुछ उद्धारण विचार निम्न प्रकार हैं:- 

  • सबसे बड़ा पाप है अपने आप को कमज़ोर समझना।
  • यह दुनिया एक महान व्यायामशाला है जहां हम स्वयं को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
  • जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।
  • जो कुछ भी तुम्हें कमजोर बनाता है- शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक, उसे जहर की तरह त्याग दो।
  • उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।
  • सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
  • बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप हैं।
  • तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है।
  • सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
  • ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हांथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है।

FAQ’s –

Q. स्वामी विवेकानंद कौन हैं?

उत्तर- स्वामी विवेकानन्द जी वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे।

Q. स्वामी विवेकानंद का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर – स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में कलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (वर्तमान कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत ) में हुआ था।

Q. स्वामी विवेकानंद जी के माता-पिता कौन है?

उत्तर- स्वामी विवेकानंद जी की माता भुवनेश्वरी देवी और पिता विश्वनाथ दत्ता है।

Q. स्वामी विवेकानंद के कितने भाई-बहन थे?

उत्तर- उनके 9 भाई-बहन थे जिनमे से वे एक थे।

Q. स्वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम क्या था?

उत्तर- उनका वास्तविक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था।

Q. स्वामी विवेकानंद कौन से धर्म के थे?

उत्तर- स्वामी विवेकानंद हिन्दू धर्म से थे।

Q. स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब और कहाँ हुई?

उत्तर- उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1902 में करीब 9:20 बजे बेलूर मठ, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (वर्तमान पश्चिम बंगाल, भारत) में हुई।

Q. स्वामी विवेकानंद की मृत्यु के समय उनकी आयु कितनी थी?

उत्तर- मृत्यु के समय उनकी आयु 39 वर्ष की थी।

Q. स्वामी विवेकानंद की मृत्यु का कारण क्या था?

उत्तर-  मस्तिष्क में एक रक्त वाहिका के टूटने के कारण उनकी मृत्यु हुई थी।

Q. ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ क्यों मनाया जाता है ?

उत्तर- स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाया जाता है।

Q. स्वामी विवेकानंद अमेरिका क्यों गए थे?

उत्तर- वह सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने अमेरिका में स्थित शिकागो गए थे।

Q. स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम क्या है?

उत्तर- उनके गुरु का नाम रामकृष्ण है।

Q. स्वामी विवेकानंद का अंतिम संस्कार कहाँ हुआ था?

उत्तर-  बेलूर में गंगा के तट पर चंदन की चिता पर उनका अंतिम संस्कार हुआ था।

Q. स्वामी विवेकानंद की रुचि क्या थी?

उत्तर- स्वामी विवेकानंद को बचपन से ही अध्यात्म में रुचि थी।

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Rohini Thakur

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