Nipah Virus का संक्रमण 4 से 14 या इससे भी ज्यादा दिन बाद इसके लक्षण देखने को मिल सकतें है। कुछ मामलों में इसकी संक्रमण अवधि 45 दिनों तक होती है।

इसके 4 प्रकार के संक्रमण होते है: लक्षणहीन संक्रमण, तीव्र श्वसन संक्रमण, घातक इंसेफेलाइटिस, स्पर्शोन्मुख (सबक्लीनिकल)।

इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को बुखार आता है, फिर साँस लेने में तकलीफ होती है, साथ ही मासपेशियों में दर्द होता है।

दिन में असमान्य रूप से नींद आना और बहुत थकावट महसूस करना, यह संक्रमण के लक्षण है। रोगी व्यक्ति की चेतना में बदलाव आने लगते है।

संक्रमित व्यक्ति को चक्कर आना, गले में खराश और उल्टी होती है। इसमें तंत्रिका संबंधित समस्या होती है।

WHO के अनुसार यह वायरस चमगादड़ या सूअर के दूषित भोजन के माध्यम से मनुष्यों तक पहुंचता है तो इसकी सावधानी बरतनी चाहिए। 

Nipah Virus के लक्षण का अनुभव हो तो शीघ्र ही हॉस्पिटल जाकर डॉक्टर से जाँच करवाए। मास्क का प्रयोग करें।

इस वायरस का कोई टीका या दवाई नहीं है, इसमें मनुष्यों के लिए प्राथमिक उपचार सहायक देखभाल है।

अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोए और स्वच्छता बनाए रखें। डॉक्टर द्वारा बताई गयी मेडिसिन को रेगुलर लें।

इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचें और उस व्यक्ति के रक्त और शारीरिक तरल पदार्थ को  सावधानी से प्रयोग में लाएँ।

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