अब तक बहुत से ताकतवर देशों मे सैन्य तख्तापलट हो चुका है जिसमें बांग्लादेश, म्यांमार, दक्षिण कोरिया, इंग्लैंड, नेपाल, पाकिस्तान, जपान, चीन, इराक और इटली जैसे देश शामिल है।

 सैन्य तख्तापलट से तात्पर्य कोई ऐसा देश जिसके लीडर किसी कारणवश अपनी सेवा नहीं दे पा रहे हैं तो सशस्त्र सेनाएं देश के प्रशासन का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेती हैं। 

अंग्रेजों ने एंग्लो सेक्शन पैटर्न लागू किया था जिसके तहत सेना राजनीतिक मामलों में तटस्थ रहेगी और यह परंपरा भारतीय सेना में आज भी बरकरार है।

यह परंपरा पाकिस्तानी सेना में भी थी लेकिन वहां कई बार सैन्य शासन रहा है, व भारतीय सेना बहुत विशाल है और देश की तरह विविधतापूर्ण है।

नेहरू जी की भूमिका इस तरह हुई जिसमे भारत के साथ-साथ कई एशियाई और अफ्रीकी देशों को आजादी मिली लेकिन कई  देशों को तानाशाही मिल गई।

भारत का लोकतंत्र शुरू से ही मजबूत रहा है जिससे  महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए जैसे कि तीन मूर्ति हाउस, जो सेना प्रमुख का पारंपरिक निवास हुआ करता था, प्रधान मंत्री का निवास बन गया।

सैन्य अधिकारियों का वेतन ब्रिटिश काल की तुलना में कम कर दिया गया था। कमांडर और चीफ, जो कि वायसराय के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद था, आजादी से पहले ही ख़त्म कर दिया गया।

पद खत्म करने के बाद उनके स्थान पर एक रक्षा मंत्री और एक नागरिक नेता को लाया गया जो तीनों सशस्त्र बलों के प्रमुखों की अध्यक्षता कर सके और साथ ही सेना में पदोन्नति पर ध्यान केंद्रित किया गया।

अर्धसैनिक बल को एक जवाबी बल के रूप में बनाया गया इसलिए एक हत्यारा विभाजन बनाया गया और इन सभी को देखते हुए कई देशों को तानाशाही झेलना पड़ा।

इन सभी कारणों को देखते हुए यह कहा जा सकता है की नागरिक सरकार और सेना के बीच हमारी सेना केवल अपने देश के प्रति वफादार है। 

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