हम सभी गणेश जी की स्तुति के बाद गणपति बप्पा मोरया के जयकारे जरूर लगाते हैं, पर क्या हमें मोरया शब्द का अर्थ पता है?

 भगवान गणेश शुभारंभ, बुद्धि और सौभाग्य के प्रतीक विघ्नहर्ता के रूप में हमारे मार्ग को सुगम बनाते हैं। भगवान गणेश, ज्ञान के प्रतीक भी माने जाते हैं।

 सौम्य स्वभाव और दयालु हृदय से वह भक्तों को समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। उनकी गज की सूंड बुद्धिमत्ता और अनुकूलता का प्रतीक है।

उनकी उपस्थिति सकारात्मकता को बढ़ावा देती है, भय और संदेह दूर करती है। छोटे मूषक पर सवार, वह विनम्रता और चपलता सिखाते हैं।

14वी शताब्दी में महाराष्ट्र के चिंचवाड़ गांव में भगवान गणेश के भक्त के घर मोरया गोसावी नाम के शख्स का जन्म हुआ।

गोसावी भी गणेश जी के बहुत बड़े भक्त थे एक बार उनके सपने में आकर गणेश जी ने अपनी मूर्ति तालाब में मिलने की बात कही।

 गोसावी जी जब स्नान कर रहे थे तब उन्हे गणेश जी की मूर्ति प्राप्त हुई। तब से भक्त  गोसावी जी को महाभक्त कहने लगे।

चिंचवाड़ गांव में लोग संत गोसावी जी से मिलने आते, गोसावी जी उन्हे आशीर्वाद के रूप में मंगलमूर्ति कहते। उसके बाद से यह जयकारा पूर्ण हुआ गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया।

कुछ लोग यह जयकारा भी लगाते हैं गणपति बप्पा मोरया, पुधच्या वारशी लवकर य। जिसका अर्थ है हे मंगलकारी पिता, अगली बार और जल्दी आना।

उनकी उपस्थिति सकारात्मकता को बढ़ावा देती है, भय और संदेह दूर करती है। भगवान गणेश की कृपा हम सभी पर बनी रहे।

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