Akshaya Tritiya: आज 10 मई को मनाया जा रहा है अक्षय तृतीया, जानें मुहूर्त

Akshaya Tritiya

Akshaya Tritiya: साल का सबसे शुभ दिन माने जाने वाला अक्षय तृतीया का त्योहार भारत के कोने-कोने में मनाया जाता है। इस वर्ष Akshaya Tritiya (अक्ती) देशभर में 10 मई 2024 को शुक्रवार के दिन मनाया जा रहा है। देश में इस त्योहार की तैयारी बड़े जोरों-शोरों से की जाती है।

10 मई की अक्ती का शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अक्ती में कई तरह की नई-नई चीजें खरीदी जाती है और दान-पुण्य के कार्य भी किए जाते हैं। 10 मई की अक्ती का मुहूर्त प्रातः 4:17 बजे प्रारंभ होगा व 11 मई को 02:50 बजे समाप्त होगा। इस दिन पूजा का शुभ समय सुबह 5.33 बजे से दोपहर 12.18 बजे तक रहेगा।

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Akshaya Tritiya- माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा…

पौराणिक मान्यताओ के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है तथा इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं। कहा जाता है की अक्षय तृतीया से ही सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ हुआ और इसी दिन भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी लिया था। भगवान परशुराम का जन्म भी अक्षय तृतीया को ही हुआ था। इसी शुभ तिथि से भगवान गणेश ने महाभारत काव्य भी लिखना प्रारंभ किया था।

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कई जन्मों तक मिलता है फल

अक्षय तृतीया को बहुत ही पुण्यदायी तिथि मना जाता है, कहा जाता है की उस दिन जो भी पुण्य का कार्य करता हैं उसका फल कई जन्मों तक मिलता है। उस दिन एक गरीब को अपने घर बुलाकर सत्‍कार पूर्वक उन्‍हें भोजन अवश्‍य ही कराना चाहिए, सुखद गृहस्‍थी के लिए यह जरूरी होता है। मान्‍यता है कि ऐसा करने से उनके घर में धन धान्‍य में अक्षय वृद्धि होती है।

सोना की खरीदारी से शुभता प्राप्त…

अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने को बहुत शुभ फल प्रदान करने वाला माना जाता क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा की जाती है चूकी दोनों धन के देवी-देवता है, इसलिए इस दिन सोना, गहने, सिक्का या बरतन खरीदते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ग्रहों की स्थिति के कारण सोने की खरीदारी से शुभता प्राप्त होती है जिससे जीवन में सफलता मिलती है।

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भगवान परशुराम का जन्‍म

अक्षय तृतीया के दिन की सबसे बड़ी मान्यता यह है की इस दिन भगवान विष्‍णु के छठें अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्‍म हुआ था, भगवान परशुराम जी ने महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के घर जन्‍म लिया था, इसदिन परशुराम जी की पूजा करने का महत्व है।

मां गंगा, मां अन्नपूर्णा और पांडव पुत्र युधिष्ठर से जुड़ी: अक्ती पूजा

पौराणिक कथाओ के अनुसार, इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरीत हुई थीं जिन्हें हजारों वर्ष तक तप कर राजा भागीरथ ने उन्हें धरती पर लाया था, गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धूल जाते है। इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिवस भी मनाया जाता है, इस दिन गरीबों को खाना खिलाया जाता है और भंडारे किए जाते हैं। कहा ये भी जाता है की पांडव पुत्र युधिष्ठर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी हुई थी जिससे इसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।

कार्यों मे नहीं मिलती असफलता

अक्षय तृतीया के दिन किया गया हर कार्य सफल होता है, कहा जाता है की इस दिन जो भी कार्य शुरू किया जाता है उसमें कभी भी असफलता नहीं मिलती। इस दिन जिस किसी भी सामग्री की खरीदारी की जाती है उस सामग्री की कभी भी कमी नहीं होती। घर में सुख-समृद्धि होती है, पारिवारिक स्थिति में धन्य-धान्य की कमी नहीं होती है।

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बद्रीनाथ धाम से जुड़ी मान्यताए

चार धामों मे से एक बद्रीनाथ का मंदिर भी शामिल है। माना जाता है की अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान बद्रीनाथ के मंदिर का पट भी खुलता है। बद्रीनाथ धाम ऎसा धार्मिक स्थल है, जहां नर और नारायण दोनों मिलते है. धर्म शास्त्रों की मान्यता के अनुसार इसे विशालपुरी भी कहा जाता है, इस धाम में भगवान श्री विष्णु के शालिग्राम रूप की पूजा की जाती है, इसीलिए इसे विष्णुधाम भी कहा जाता है।

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Rohini Thakur

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