Chandrayaan 4: चंद्रयान-3 के सफलता के बाद Chandrayaan 4 मिशन पर अमहदाबाद स्थित इसरो केंद्र के निर्देशक नीलेश देसाई ने कहा, हमने चंद्रयान-4 मिशन की योजना बनाई है, व इसे “लूनर सैंपल रिटर्न” मिशन कहा जाएगा। अंतरिक्ष मिशन के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी देश ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपने यान को लैंड कराया हो। चंद्रयान-3 के बाद भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो अपने “MOON MISSION CHANDRAYAAN 4” की तैयारी में जुट गया है। इसके लिए उसने जापान के स्पेस एजेंसी JAXA से पार्टनरशिप भी किया है।
एक बार फिर होगा भारत गौरवान्वित
इसरो (ISRO) के हौसले काफी बुलंद है, इसलिए उन्होंने भारत को फिर एक बार गौरवान्वित करने की योजना बनाई है। निलेश देसाई के अनुसार, चंद्रयान-4 मिशन एक चंद्र दिवस के जैसा होगा। चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है व वहां रातें बेहद सर्द होती हैं। इस दौरान तापमान -200 डिग्री तक गिर जाने से उपकरणों के खराब होने या जमने की आशंका रहती है। इसलिए एक चंद्र दिवस के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम दोबारा सक्रिय नहीं हुआ था। ये चौथा मून मिशन पिछले से बिलकुल ही अलग होगा तथा इस मिशन में हम चंद्रमा पर उतरेंगे और उसकी सतह से नमूना लेकर वापस आ सकेंगे।
चंद्रयान 1 2 3 का सक्रिय मिशन
याद होगा की ‘चंद्रयान-1 में ऑर्बिटर और मून इम्पैक्ट प्रोब को सक्रिय रूप से लॉन्च किया गया था व चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे गए थे, लेकिन चंद्रयान-3 में सिर्फ़ लैंडर और रोवर भेजा गया वह सफल हुआ था। इस प्रयोग में चंद्रयान-2 में प्रयोग किए गए ऑर्बिटर का प्रयोग किया जा रहा हैं। चंद्रयान-3 की सफलता और जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर चंद्रयान-4 उसके बाद प्रयोग जारी है। यदि ये सभी सफल रहे तो अगले मिशनों में मानवयुक्त अंतरिक्ष यान भेजने की कोशिश होगी।
हजारों की संख्या में हैं परियोजनाएं: एस. सोमनाथ
एस. सोमनाथ ने योजना के बारे में बताते हुए कहा की ‘चंद्रयान-4 की योजना हमारे लिए एक पहले कदम की तरह होगी क्योंकि इसमें चंद्रमा पर एक यान ले जाने और नमूना एकत्र करने और उसे पृथ्वी पर वापस लाने की दिशा होगी। जो यह यान चंद्रमा पर जाने और पृथ्वी पर वापस आने के पूरे चक्र को दर्शाएगा।
हमारे पास रॉकेट परियोजनाएं लगभग 5-10
ISRO रॉकेट और उपग्रह परियोजनाओं से लेकर प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाओं तक कई अन्य परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिनमे उन्होंने हमें कहा है की उनके पास इस समय बहुत सारे प्रोजेक्ट है, जिसमें रॉकेट प्रोजेक्ट, उपग्रह प्रोजेक्ट, एप्लिकेशन प्रोजेक्ट और प्रौद्योगिकी विकास प्रोजेक्ट शामिल हैं। किन्तु हमारे पास रॉकेट परियोजनाएं लगभग 5-10 है, उपग्रह परियोजनाएं लगभग 30-40 है, और एप्लिकेशन प्रोजेक्ट 100 और R&D प्रोजेक्ट हजारों की संख्या में हैं। हम सभी परियोजनाएं को पूर्ण करने की कोशिश करेंगें।
भारत बना चौथा देश व गगनयान प्रयोग
बताया जा रहा है की चंद्रयान-4 बहुत ही कठिन मिशन होने वाला हैं। इसके लिए कई प्रक्षेपण और अंतरिक्ष यान मॉड्यूल शामिल होंगे। अमेरीका, रूस और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल कर पाएगा अगर इसरो चांद के नमूने एकत्र कर उन्हें वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए पृथ्वी पर लाने में सफल रहता है तो
गगनयान प्रयोग करने की तैयारी में भी
अब यह भी कहा जा सकता है की भारत वह चौथा देश बन जाएगा जिसने चंद्रयान के मिशन को लगातार सक्रिय किया हैं। इसरो दूसरे देशों की मदद से नहीं बल्कि पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए गगनयान प्रयोग करने की तैयारी में भी है। गगनयान प्रयोग में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से 400 कि.मी. की ऊंचाई तक ले जाने और तीन दिनों तक उन्हें वहां रखकर, वापस लाने की परिकल्पना की गई हैं।
Chandrayaan 4: चांद की सतह की मिट्टी धरती पर लाना…
चंद्रयान-4 का के मिशन का यह खास भाव है की वह चांद की सतह की मिट्टी धरती पर ला सके। बताया जा रहा है की वर्ष 2028 तक चंद्रयान 4 को लॉन्च किए जाने की संभावना हैं। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने शिवशक्ति पॉइंट पर लैंडिंग के बाद चांद की सतह पर पानी समेत कई महत्त्वपूर्ण एलिमेंट्स की खोज की थी जिससे चंद्रयान-4 की लैंडिंग से खोज को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस मिशन में बहुत सारे कार्यों को अंजाम दिया जाएगा व आगे की योजनाओ को प्रेरणा मिलेगी।