Dr Narendra Dabholkar: मर्डर का फैसला 2 को उम्रकैद व 3 को बरी

Dr Narendra Dabholkar
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Dr Narendra Dabholkar: 11 साल पहले डॉ नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में आज सुनवाई का फैसला आया है, जिसमें 2 को उम्रकैद व 3 को बरी कर दिया गया हैं। डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या 20 अगस्त 2013 को हुई थी, जिसके ग्यारह साल बाद इस हत्याकांड का फैसला आज पुणे की एक विशेष अदालत ने सुनाया है।

भारतीय तर्कवादी और महाराष्ट्र के लेखक: डॉ नरेंद्र

डॉ नरेंद्र दाभोलकर महाराष्ट्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता थे, उन्होंने समाज में प्रचलित अंधविश्वासो का विरोध करने के लिए आंदोलन चलाए थे। नरेन्द्र अच्युत दाभोलकर का जन्म 1 नवम्बर 1945 को हुआ था, वे एक भारतीय तर्कवादी और महाराष्ट्र के लेखक थे।

मरणोपरांत पद्मश्री प्राप्त थे Dr Narendra Dabholkar

उनकी शिक्षा MBBS तक की है, इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (MANS), एक अंधविश्वास उन्मूलन के लिए गठित एक संगठन, के संस्थापक एवं अध्यक्ष का पदभार सभाल था। उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री से वर्ष 2014 में सम्मानित भी किया गया था।

मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने की थी हत्या

सूत्रों के अनुसार 20 अगस्त 2013 को पुणे में मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी थी, वह केस आज फिर एक बार चर्चा मे हैं क्योंकि पुणे की एक विशेष अदालत ने आज इस मामले में फैसला सुनाया, जिसमे पाँच आरोपी में दो को आजीवन कारावास व तीन को रिहा कर दिया गया हैं।

ओंकारेश्वर ब्रिज पर हुई थी हत्या    

रिपोर्ट के अनुसार 20 अगस्त 2013 को नरेंद्र दाभोलकर पुणे के ओंकारेश्वर ब्रिज पर हर सुबह की तरह सैर पर निकले थे, तभी सैर के दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में जांच के अनुसार पुलिस ने पाँच लोगों को हिरासत मे लिया था।

20 गवाहों से की थी पूछताछ

मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों से पूछताछ की जबकि बचाव पक्ष ने दो गवाहों से पूछताछ की। सैर के दौरान उन पर दो लोगों ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी। बताया जा रहा है की उन्हें कुल पाँच गोलियां लगी थी जिनके कारण उनकी मौत हो गई।

CBI की जांच-पड़ताल

इस हत्याकांड के मामले को पुलिस से हटाकर 2014 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया था,जिसमें सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ 2016 में आरोप पत्र दायर किया था। इसके बाद इस केस में CBI ने पूरी जांच-पड़ताल किया फिर अदालत को केस की जानकारी दी।

Central Bureau of Investigation (CBI)

तीन आरोपी को सबूत न मिलने के अभाव में रिहा…

बता दें की यह पाँच आरोपी मे सचिन अंदुरे, शरद कालस्कर, मुंबई के वकील संजीव पुनालेकर और उनके सहयोगी विक्रम भावे, ईएनटी सर्जन डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े को हिरासत में लिया गया था, जिसमें सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को अदालत ने आजीवन कारावास की साजा दी व बाकी तीन आरोपी को सबूत न मिलने के अभाव में रिहा कर दिया गया है।

दाभोलकर पर चलाई गईं थी पांच गोलियां

बताया जा रहा है की नरेंद्र दाभोलकर पर पांच गोलियां चलाई गईं, जिसमें की दो गोलियां मिसफायर हुईं व दो गोलियां नरेंद्र के सिर में और एक छाती में लगीं जिसकी वजह से उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। जब उन्हे गोली लगी तो वे गिर पड़े, तभी दोनों हमलावर पास में खड़ी एक मोटरसाइकिल से भाग निकल गए।

सामाजिक कार्यों के प्रति उनका जुनून

नरेंद्र ने 12 साल तक एक चिकित्सक के रूप में काम किया था लेकिन उनकी सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी थी, जैसे-जैसे सामाजिक कार्यों के प्रति उनका जुनून बढ़ता गया, उन्होंने अपना यह पेशा पूरी तरह से त्याग दिया। शुरुवाती दौर में नरेंद्र ने प्रोफेसर श्याम मानव की अध्यक्षता वाली अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (ABANS) में शामिल हुए।

संगठन अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति महाराष्ट्र की स्थापना

हालांकि प्रोफेसर मानव के साथ कुछ मतभेदों के कारण कुछ वर्षों के बाद दाभोलकर ने ABANS छोड़ दिया व अपने से कुछ सामाजिक कार्य करने लगे। जिसके बाद उन्होंने  अपने नव स्थापित संगठन अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति महाराष्ट्र के जरिए अपनी गतिविधियों को जारी रखा।

अंधविश्वास विरोधी कानून लागू करने की बात

डॉ नरेंद्र दाभोलकर की मुत्यु (20 अगस्त 2013 ) के पश्चात राज्य में अंधविश्वास विरोधी कानून लागू करने की जबरदस्त बहस चल रही थी। सर्जन अमित थडानी की पुस्तक ‘रेशनलिस्ट मर्डर्स’ में वे लिखते हैं कि महाराष्ट्र के अभी के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने डॉ. दाभोलकर की हत्या को प्रगतिशील महाराष्ट्र की ‘छवि पर दाग’ की धरणा देते हुए कानून लाने की मांग की थी।

Rohini Thakur

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