Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा 7 जुलाई, 2024 से प्रारंभ हो रही है और 16 जुलाई 2024 तक चलेगी। ओडिशा मेंं स्थित पुरी मेंं सभी भक्तों का ताँता लग चुका है और इसी दौरान कई परंपराएं निभाई जाएगी। रथ यात्रा महोत्सव पूरे 10 दिन तक मनाया जाएगा। जगन्नाथपुरी धाम, भारत के चार धामों में से एक है। जगन्नाथपुरी धाम और बस्तर के एक पारंपरिक त्यौहार के बारे मेंं आइए जानते हैं।
Jagannath Rath Yatra 2024 का समय
Jagannath Rath Yatra 2024 हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 7 जुलाई, 2024 है। रथ यात्रा प्रातः 04:26 पर प्रारंभ हुई और द्वितीया तिथि का समापन 8 जुलाई, 2024 को सुबह 04:59 पर होगा। इस पावन रथ यात्रा को 10 दिन तक महापर्व के रूप मेंं मनाए जाने के बाद जगन्नाथ स्वामी अपने स्थल वापस आते हैं। मान्यता के अनुसार भारत के तीनों धामों के जाने के बाद यह जगन्नाथ धाम अंत में आना चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सात और आठ जुलाई को रथयात्रा के लिए दो दिवसीय अवकाश की घोषणा की है और मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रथ यात्रा समारोह में भाग लेंगी।
रथ यात्रा महोत्सव पूरे विश्व में प्रसिद्ध
भगवान जगन्नाथ के नाम का अर्थ है जगत् अर्थात “ब्रह्मांड” और नाथ अर्थात “स्वामी” इन दोनों को मिलाकर जो शब्द होता है वो “ब्रह्मांड का स्वामी” है। जगन्नाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है। जगन्नाथ का मंदिर भारत के राज्य ओडिशा के एक जिले पुरी में स्थित है। जगन्नाथ मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा महोत्सव पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में तीन मुख्य देवता भगवान जगन्नाथ, भ्राता बलराम,भगिनी सुभद्रा है। यह एक वैष्णव सम्प्रदाय का मन्दिर है जिसमें भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की आराधना की जाती है।
क्यूँ निकली जाती है रथ यात्रा?
जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2024) इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकी भगवान जगन्नाथ, भ्राता बलराम,भगिनी सुभद्रा तीनों भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा करतें है। रथ यात्रा के शुभ अवसर पर भगवान जगन्नाथ अपने गर्भ गृह से निकलकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। स्कंद पुराण,पद्म पुराण के अनुसार बहन सुभद्रा ने नगर भ्रमण की इच्छा जाहिर की तो भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और भ्राता बलराम के साथ नगर भ्रमण के लिए चल पड़े। इसी दौरान भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी गए और वहाँ बीमार होने से 7 दिनों तक रुकने के बाद भगवान अपने महल लौट आए थे।
जगन्नाथ रथ यात्रा की तीनों देवताओं के रथ के नाम और विशेष विवरण –
भगवान जगन्नाथ –
- रथ का नाम: नंदीघोष
- पहियों की संख्या : 16 पहिए
- रथ की ऊंचाई: 44 फीट 2 इंच
- रथ का सारथी: दारुका
- ध्वज का नाम: त्रैलोक्यमोहिनी
- रथ की रस्सी का नाम: शंखचूड़ नागिनी
- संरक्षक: गरुड
भ्राता बलराम –
- रथ का नाम: तालध्वज
- पहियों की संख्या : 14 पहिए
- रथ की ऊंचाई: 43 फीट 3 इंच
- रथ का सारथी: मातलि
- ध्वज का नाम: उन्नानी
- रथ की रस्सी का नाम: बासुकी नाग
- संरक्षक: वासुदेव
भगिनी सुभद्रा –
- रथ का नाम: दर्पदलन
- पहियों की संख्या : 12 पहिए
- रथ की ऊंचाई: 42 फीट 3 इंच
- रथ का सारथी: अर्जुन
- ध्वज का नाम: नादंबिका
- रथ की रस्सी का नाम: स्वर्ण चूड़ा नागिनी
- संरक्षक: जयदुर्गा
जगन्नाथपुरी मंदिर के बारे में
जगन्नाथपुरी को धरती का वैकुंठ कहा गया है और इस स्थान को शाकक्षेत्र, नीलांचल और नीलगिरि भी कहते हैं। जगन्नाथ मंदिर के निर्माण को आरंभ कलिंग राजा अनंतवर्मन् चोडगंग देव ने किया जिसके बाद मंदिर का वर्तमान स्वरूप 12वीं शताब्दी में 1174 ई. में ओडिआ शासक अनंग भीम देव ने किया। मंदिर की शैली कलिंग वास्तु है। इस मंदिर के चार द्वार (सिंहद्वार, व्याघ्र द्वार, हस्ति द्वार, अश्व द्वार) प्रसिद्ध है।
मंदिर में कई रोचक तथ्य
प्राचीन समय की यह मंदिर में कई ऐसे रोचक तथ्य है जिसे समझना कठिन माना गया है। माना जाता है की भगवान कृष्ण के देह त्याग किया और जब उनका अंतिम संस्कार किया गया तो उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गई पर परंतु शरीर के एक हिस्सा जीवित रहा। भगवान कृष्ण का हृदय जीवित रहकर धड़कता रहा। भगवान कृष्ण का जीवित हृदय आज भी भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति के अंदर है।
जगन्नाथ यात्रा को क्यूँ माना जाता है महापर्व?
भगवान जगन्नाथ की रथ की यात्रा को इसलिए महापर्व माना जाता है क्योंकी इस दिन साल भर मंदिर में विराजमान होने के बाद भगवान मंदिर से बाहर निकलकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। यह जगन्नाथ रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार से निकली जाति है। तीनों रथ के तैयार होने के बाद इसकी पूजा के लिए पुरी के गजपति राजा की पालकी आती है। इस पूजा अनुष्ठान को ‘छर पहनरा’ कहते हैं। तीनों रथों की विधिवत पूजा होने के बाद सोने की झाड़ू से रथ मण्डप और यात्रा वाले रास्ते को राजा साफ करता है।
किसे कहते हैं आड़प दर्शन?
इस रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2024) को शंखध्वनि के साथ प्रारंभ कर के भक्तगण इस रथों की रस्सी को खींचते है। मान्यता है की जो भक्त इन रस्सियों को खींचेगा उसे भाग्यवान माना जाता है। यह रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से निकालने के बाद गुंडिचा मंदिर पहुचती है और वहाँ तीनों रथ 7 दिनों के लिए विश्राम करतें है। गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन को “आड़प दर्शन” कहा जाता है। इसके बाद रथ यात्रा पुनः मंदिर की ओर प्रस्थान करती है और एकादशी को विधिवत स्नान द्वारा वैदिक मंत्रोंच्चार के साथ देवताओ को पुनः प्रतिष्ठित किया जाता है।
कहां कहां मनाया जाता है रथयात्रा का पर्व?
विश्व की सबसे बड़ी यात्रा जगन्नाथ यात्रा को केवल भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में इसका प्रभाव देखने को मिलता है। इन देशों के नाम निम्न है –
- पोलैंड
- न्यू यॉर्क USA
- मास्को , रूस
- लंदन UK
- चीन
- जापान
- पेरिस, फ़्रांस
- स्विट्ज़रलैंड
- पाकिस्तान