New Criminal Laws: 1 जुलाई 2024 को देश के कानून में एक बड़े परिवर्तन होने के साथ देश मेंं 1 जुलाई सोमवार से तीन नए कानून पारित किए जा चुके है। यह तीन नए आपराधिक कानूनो के नाम भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम निर्धारित किए गए है। जिसकी मंजूरी तीन विधेयकों को राष्ट्रपति ने 25 दिसंबर, 2023 को दी थी। आइए जानते है क्या है ये तीन नए आपराधिक कानून? इन कानूनों के लागू होने से क्या-क्या बदलाव हुए? और इनका कार्य किस तरह निर्धारित किया गया है?
कब लाया गया संसद मेंं बिल? क्यूँ हुआ विरोध?
इस विधेयक को 12 दिसंबर, 2023 में तीन कानूनों में बदलाव का बिल संसद के निचले सदन लोकसभा में प्रस्तावित किया गया था तथा इस विधेयक को दोनों सदनों से पास करते समय सिर्फ़ पाँच घंटे की बहस की गई थी। जिसके बाद 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा और 21 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा से ये पारित हुए और ये वो समय था जब संसद से विपक्ष के 140 से अधिक सांसद निलंबित कर दिए गए थे। जिसके बाद विपक्ष और क़ानून के जानकारों ने इसका विरोध करते हुए कहा था की ”जो क़ानून देश की न्याय व्यवस्था को बदल कर रख देगा, उस पर संसद में पहले मुकम्मल बहस होनी चाहिए थी।”
किन कानूनों को बदला गया?
जानकारियों के लिए जो कानून पहले हुआ करते थे जो की भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1898 और 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनयम, 1872 है, इन्ही की जगह पर 1 जुलाई 2024 को तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनयम (BSA) को लागु किया गया है, आसान भाषा में कहे तो पहले के तीन कानूनों की जगह इन तीन कानूनों को दे दी गई हैं।
IPC की जगह ली BNS ने
आम व्यक्तियों को कानून बदलने और नए कानून लागू करने के कारण को स्पष्ट करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने 1 जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया की ”तीनों ही कानून मध्य रात्रि से लागू हो गए हैं। IPC की जगह BNS ने ले ली है। सबसे पहले हमने इसमें संविधान की आत्मा के तहत धाराओं और चैप्टर की प्रायॉरिटी तय की है। साथ ही महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी है, जो कि जरूरी था।”
कानूनों मेंं बदलाव का क्या है उद्देश्य?
New Criminal Laws को पारित करने और उनका उद्देश्य समझते हुए सरकार ने सदन में बताया की ”समाप्त होने वाले ये तीनों कानून अंग्रेजी शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे और उनका उद्देश्य दंड देने का था, न्याय देने का नहीं। तीन नए कानून की आत्मा है कि भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा की जाए। इनका उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना है।”
किस दिन से लागू हुए New Criminal Laws?
इन New Criminal Laws को संसद से पारित किया गया है तथा यह कानून 1 जुलाई, 2024 से समूचे देश में लागू हो गए है, लेकिन जिस राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं है अर्थात जो गैर-बीजेपी शासित राज्य है, उन्होंने इस क़ानून का विरोध किया है, लेकिन केंद्र सरकार के अधिकारियों ने राज्य सरकारों को समझते हुए कहा है की, भारतीय सुरक्षा संहिता में अपनी ओर से संशोधन करने को वे स्वतंत्र हैं।
BNS के तहत इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों के महत्व बढ़ेंगे
जानकारियों के लिए बता दें की यह जो तीन New Criminal Laws लागू किए गए है उनमें आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल और इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटारे का रास्ता आसान हुआ है। इस आपराधिक कानूनों मेंं तय समय सीमा में FIR दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। इस कानूनों के तहत अपराधियों को जल्द-से-जल्द सजा दिलाने की कोशिश की जाएगी।
नए कानून में बलात्कार के लिए सख्त सजा
इस New Criminal Laws के तहत 35 धाराओं और 13 प्रावधानों वाला एक पूरा अध्याय जोड़ा गया है, जिससे सामूहिक बलात्कार (Gang Rape) करने वालों को 20 साल की कैद या आजीवन कारावास होगा तथा नाबालिग (Minor) से बलात्कार पर मृत्युदंड होगा। नए कानून के तहत उन अपराधियों के लिए भी धाराएं लगाई जाएंगे जो पहचान छिपकर, झूठे वादे कर यौन शोषण का अपराधी हो।
New Criminal Laws में ऑनलाइन FIR की सुविधा
महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को जानने के लिए व महिलाओं को शर्मिंदगी से बचने के लिए ऑनलाइन FIR की सुविधा दी गई है तथा पीड़िता का बयान उसके घर पर महिला अधिकारियों और उसके अपने परिवार की मौजूदगी में दर्ज करने का प्रावधान किया गया है। इन कानूनों के लागू होने से अब महिलायें जुर्म होने पर डरकर, चुप-चाप घर पर होने पर भी अपराधियों को घर बैठे सजा दिलवा सकती हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के होंगे ये बदलाव:-
- भारतीय दंड संहिता में 484 धाराएं थीं, जबकि एक कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में धाराओं की संख्या 531 तक पहुंच गई हैं।
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है।
- नए कानून में 9 नई धाराएं और 39 नई उप धाराएं जोड़ी गई हैं।
- सामूहिक एवं एकल बलात्कार के लिए सजा 20 साल या आजीवन कारावास।
- नए कानून के तहत किसी भी सरकारी अधिकारी पर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित विभाग 120 दिनों के भीतर अनुमति देगा. अगर विभाग या अथॉरिटी अनुमति नहीं देगा तो इसे भी एक्शन माना जाएगा।
- FIR दर्ज करने के 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दायर करनी जरूरी होगी और चार्जशीट दायर होने के 60 दिनों के भीतर अदालत को आरोप तय करने होंगे।
- किसी भी केस की सुनवाई के 30 दिनों के भीतर अदालत को फैसला देना होगा और फैसले की कॉपी 7 दिनों के अंदर उपलब्ध करानी होगी।
- तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य है।
- जिला स्तर पर मोबाइल FLS (Foundational Learning Study) की तैनाती होगी।
- शादी, नौकरी आदि के झूठे बहाने के तहत महिला के बलात्कार तथा चेन/मोबाइल स्नैचिंग और इसी तरह की शरारती गतिविधियों के लिए अलग-अलग प्रावधान के तहत कड़ी कारवाही की जाएगी।
- बच्चों के खिलाफ आपराधिक षड़यंत्र, या किसी प्रकार के अपराध की दशा में अपराधी को सात साल की सजा से बढ़ा कर 10 साल कर दी गई हैं।
- किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने के बाद पुलिस को उसके परिजनों को ऑनलाइन, ऑफलाइन या लिखित सूचना देनी होगी।
- यदि कोई महिला सिपाही थाने में है तो उसकी मौजूदगी में ही पीड़ित महिला का बयान दर्ज करना होगा।
- ट्रायल के दौरान गवाहों के बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी दर्ज किए जा सकेंगे।
- जानकारियों के लिए वर्ष 2027 से पहले देश के सारे कोर्ट कंप्यूटरीकृत कर दिए जाएंगे।
- वैवाहिक मामलों में पत्नी की उम्र 18 वर्ष से अधिक होने पर जबरन शारीरिक संबंध बनाने पर इस अपराध को रेप या मैरिटल रेप नहीं माना जाएगा।
- मॉब लिंचिंग को भी अब हत्या के अपराध के दायरे में लाया गया है।
- हत्या के अपराध के लिए 7 साल की कैद, आजीवन कारावास और फांसी की सजा का प्रावधान है।
- किसी भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना क्रूरता माना गया है. इस अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को 3 साल की सजा का प्रावधान है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) में निम्न धाराओं के तहत किए जाएंगे मुकदमे:-
- New Criminal Laws के तहत महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले को धारा 63 से 99 की बीच रखा गया है।
- दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना के मामलों को क्रमशः धारा 79 और 84 के तहत सजा दी जाएगी।
- यौन उत्पीड़न को धारा 74, रेप या बलात्कार के लिए धारा 63, सामूहिक बलात्कार या गैंगरेप के लिए धारा 70 तथा दुष्कर्म के सजा के लिए धारा 64के तहत कारवाही की जाएगी।
- शादी का वादा कर दुषकर्म करने वाले अपराध को रेप से अलग रखा गया है।
- संगठित अपराधों के मामले में धारा 111 में सजा का प्रावधान है।
- चोट पहुंचाने के अपराधों के बारे में धारा 100 से 146 तक परिभाषित किया गया है।
- हत्या के मामले में सजा का प्रावधान धारा 103 में दिया गया हैं।
- आतंकवाद के मामलों को धारा 113 में परिभाषित किया गया है।
- राजद्रोह से जुड़े मामलों के लिए धारा 147 से 158 तक के प्रावधान किए जाएंगे।
- चुनाव से जुड़े अपराधों का प्रावधान धारा 169 से धारा 177 तक दिया गया है।