RBI Monetary Policy:10वीं बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, जानें क्या है इस पर विश्लेषकों की राय

RBI Monetary Policy
RBI Monetary Policy, image via: official site & X

RBI Monetary Policy: बैंकों के लिये मुसीबत अब कम नहीं बल्कि और भी बड़ सकती है क्योंकि बैंको के बैंक RBI ने सूचना जारी करते हुए घोषणा की है कि रेपो रेट की दरों में कोई भी बदलाव नहीं किये जाएंगे और रेपो रेट की दर को 6.50 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा है लेकिन उन्होंने तटस्थ रुख अपनाया है। यह परिवर्तन विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति से निपटने में लचीलापन प्रदान करता है। अर्थशास्त्रियों का सुझाव है कि यदि मुद्रास्फीति जोखिम कम हो जाता है और विकास लचीला रहता है, तो भविष्य में संभावित दर में कटौती की जा सकती है, जिसकी संभावित समयसीमा दिसंबर 2024 है। आइए इसके बारे में आगे जानते हैं।

क्या होता है रेपो रेट?

जिस तरह हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज़ (Lone) लेते हैं और उसे एक निर्धारित ब्‍याज के साथ चुकाते हैं, उसी तरह सार्वजनिक, निजी और व्‍यावसायिक क्षेत्र के बैंकों को भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने की जरूरत पड़ती है, ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जिस ब्‍याज दर पर बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट (Repo Rate) कहा जाता है। Repo Rate कम होने पर आम आदमी को राहत मिल जाती है और रेपो रेट बढ़ने पर आम आदमी के लिए भी मुश्किलें बढ़ती हैं।

RBI Monetary Policy: रेपो दर को रखा गया बरकरार

भारतीय रिजर्व बैंक की प्रधानता वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार को मुख्य ऋण दर रेपो दर को 6.50% पर बरकरार रखने की घोषणा की तथा यह निर्णय सर्वसम्मति से नहीं लिया गया क्योंकि सदस्यों में से एक दर में कटौती चाहते थे। हालांकि, गवर्नर शक्तिकांत दास की टीम इस बात पर पूरी तरह सहमत थी कि समायोजन वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने से उनके रुख को तटस्थ करने की आवश्यकता है अर्थात अब यह कहा जा सकता है की रेपो रेट में तो कोई बदलाव नहीं होगा लेकिन तटस्थ रुख अपनाया जाएगा।

रेपो रेट का EMI पर असर

बता दें की रेपो रेट का सीधा असर आम आदमी की EMI पर भी पड़ता है और उनकी EMI बढ़ जाती है, वहीं जब Repo Rate कम किया जाता है तो आम लोगों को भी लोन, कम ब्‍याज दर पर मिलते हैं और उनकी EMI भी कम होती है। Repo Rate से प्रभावित EMI आम लोगों द्वारा होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्‍याज दर को निर्धारित करने हेतु उपयोगी साबित होती है। इस रेपो रेट के स्थिर रहने से लोन आधारित EMI से प्रभावित होकर लोन लेने से डरते हैं और उन्हे सिर्फ ब्याज की चिंता होती है।

10वीं बार भी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

रिजर्व बैंक ने पिछली 9 क्रेडिट पॉलिसी में लगातार रेपो रेट जैसी नीतिगत दरों और बैंकों के लिए दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, जिसका अर्थ है कि फरवरी 2023 के बाद से आरबीआई ने क्रेडिट पॉलिसी में दरों को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा हुआ है अर्थात 10वीं बार भी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। आम आदमी को EMI में कोई राहत नहीं मिलेगी हालांकि, जो ऋण MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड-बेस्ड लेंडिंग रेट) से जुड़े हैं, उनमें बैंकों द्वारा दरें बढ़ाई जा सकती हैं, क्योंकि मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो दर में 250 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी का पूरा असर अभी तक नहीं हुआ।

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कितने दर से भारत की GDP बढ़ने का है अनुमान?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नवगठित मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार को 7-9 अक्टूबर को बैठक की। RBI के मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के सदस्यों को उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष 2025 में देश की अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। वहीं, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के लिए GDP ग्रोथ टार्गेट को 7.2% से घटाकर 7% कर दिया गया, जबकि तीसरी तिमाही के लिए 7.3% से बढ़ाकर 7.4% कर दिया गया है।

इसके अलावा, जारी वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए 7.4% और वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के लिए 7.3% कर दिया गया। बता दें कि मौद्रिक नीति समिति की बैठक ने अगस्त 2024 में भारत की GDP 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था।

क्या कहा RBI गवर्नर ने?

RBI गवर्नर शक्तिकान्त दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा, “वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद मौद्रिक नीति महंगाई को काबू में रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने में सफल रही है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रुख को बदलकर तटस्थ करने का निर्णय किया। बेहतर मानसून, पर्याप्त बफर स्टॉक की वजह से इस साल आगे खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आएगी। लचीले मौद्रिक नीति ढांचे को आठ साल पूरे हो गए हैं…यह प्रमुख संरचनात्मक सुधार है। महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े अर्थव्यवस्था में मजबूत गतिविधियों के संकेत दे रहे हैं, बुनियाद मजबूत बनी हुई है।”

क्या है विश्लेषकों का कहना?

विश्लेषकों ने इस विषय पर कहा कि “मौजूदा परिस्थितियाँ RBI के लिए आसान मौद्रिक नीति की दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठाने के लिए अनुकूल नहीं हैं। एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के कार्यकारी निदेशक और मुख्य अर्थशास्त्री सुमन चौधरी ने कहा, “पिछले दो महीनों में सीपीआई हेडलाइन 4.0% के भीतर रहने और अनुकूल मानसून के कारण मुद्रास्फीति “हाथी” का डर कम हो गया है, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिरता को लेकर चिंताएँ अभी भी नीति निर्माताओं के बीच बनी हुई हैं।”

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Rohini Thakur

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