Solar Eclipse 2024: वर्ष 2024 का दूसरा व आखिरी सूर्यग्रहण 2 अक्टूबर 2024 को होने वाला है यह सूर्यग्रहण पृथ्वी पर एक दुर्लभ खगोलीय घटना को साबित करने वाला है। यह सूर्यग्रहण बाकी सूर्यग्रहणों से अलग होने वाला है क्योंकी 2 अक्टूबर को ही सूर्यग्रहण है और उसी दिन बुधवार को ही सर्वपितृ अमावस्या भी है। आइए होने वाले इस सूर्यग्रहण के बारे में जाने व क्या भारत में भी इसका असर होगा इस दिन का प्रभाव किस तरह पड़ेगा? आइए जानते हैं।
Solar Eclipse 2024: इस सूर्यग्रहण क्या है खास?
धरती पर सूर्यग्रहण के दौरान हमेशा कुछ अनोखा ही देखने को मिलता है जैसे की इस बार 2 अक्टूबर को होने वाले इस सूर्यग्रहण मे रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire) होने वाला है। मान्यताओ के अनुसार इस दिन देव-देवियों की शक्ति कम हो जाती है और बाकी बुरी शक्ति व भूत, प्रेत, पिशाच तथा निशाचरों की शक्तियो में बढ़त हो जाती है जिसके कारण ही कहा जाता है की अमावस्या की रात घर से नहीं निकलना चाहिए।
सूर्यग्रहण कितने प्रकार के होते हैं?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी पूरी तरह या आंशिक रूप से एक सीध में आ जाते हैं। वे किस तरह से एक सीध में आते हैं, इस पर निर्भर करते हुए ग्रहण सूर्य या चंद्रमा का एक अनूठा, रोमांचक दृश्य प्रदान करते हैं। सूर्य ग्रहण समानतः तीन प्रकार के होते हैं लेकिन एक अन्य खगोलीय घटना को भी सूर्यग्रहण कहा जाता है जो की इस प्रकार है:-
- पूर्ण सूर्यग्रहण- पूर्ण सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, जिससे सूर्य का चेहरा पूरी तरह से ढक जाता है। जब चंद्रमा पृथ्वी से टकराएगा तो उसकी छाया के केंद्र में स्थित लोग पूर्ण ग्रहण का अनुभव करेंगे। आकाश काला हो जाएगा, जैसे कि सुबह या शाम हो।
- वलयाकार सूर्यग्रहण- वलयाकार सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, लेकिन जब वह पृथ्वी से अपने सबसे दूर बिंदु पर या उसके पास होता है। क्योंकी चंद्रमा पृथ्वी से दूर है, इसलिए यह सूर्य से छोटा दिखाई देता है और सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता है। परिणाम के अनुसार चंद्रमा एक बड़ी, चमकदार डिस्क के ऊपर एक काली डिस्क के रूप में दिखाई देता है, जो चंद्रमा के चारों ओर एक वलय जैसा दिखता हैं।
- आंशिक सूर्यग्रहण- आंशिक सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है लेकिन सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी पूरी तरह से एक सीध में नहीं होते हैं। सूर्य का केवल एक हिस्सा ढका हुआ दिखाई देगा, जिससे यह अर्धचंद्राकार आकार का दिखाई देगा। पूर्ण या वलयाकार सूर्यग्रहण के दौरान, चंद्रमा की आंतरिक छाया से ढके क्षेत्र के बाहर के लोग आंशिक सूर्यग्रहण देखते हैं।
- संकर सूर्यग्रहण- पृथ्वी की सतह घुमावदार होने के कारण, कभी-कभी चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर घूमने के कारण ग्रहण वलयाकार और पूर्ण के बीच बदल सकता है। इसे ही हाइब्रिड सूर्यग्रहण या संकर सूर्यग्रहण कहा जाता है।
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रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire) क्या होता हैं?
“अग्नि वलय ग्रहण”- चंद्रमा सूर्य से छोटा दिखाई देता है और अपने चारों ओर सूर्य के बाहरी किनारों पर एक चमकदार वलय या “वलय” छोड़ता है। इससे आकाश में “आग की अंगूठी” जैसी आकृति बनती है। इस घटना के दौरान, सूर्य का मध्य भाग अवरुद्ध हो जाता है, लेकिन बाहरी किनारा दिखाई देता रहता है जिसे ही रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire) कहा जाता है। यह आग की अंगूठी जब आकाश में उत्पन्न होती है तब यह नज़ारा बेहद ही आकर्षक होता है।
कब और कहाँ लगेगा सूर्यग्रहण?
2 अक्टूबर 2024 को वर्ष का दूसरा व आखिरी सूर्यग्रहण लगेगा व भारतीय समयानुसार 2 अक्टूबर को 9:13 PM से यह सूर्य ग्रहण शुरू होगा और 3 अक्टूबर 3:17 PM तक दिखाई देगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण चिली, अर्जेंटीना और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा। वहीं बाकी दक्षिण अमेरिका के अन्य देशों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण दिखेगा।
सूर्यग्रहण के दौरान क्या-क्या सावधानीयां बरतनी चाहिए?
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहण काल के दौरान निम्न बातों की सावधानी बरतनी चाहिए:-
- ग्रहण काल के दौरान भोजन बनाने और खाने से बचना चाहिए। ग्रहण के बाद नया भोजन बनाना चाहिए।
- यदि संभव हो तो ग्रहण के बाद घर में रखा सारा पानी बदल दें। मान्यता है कि ग्रहण के बाद पानी दूषित हो जाता है। इसलिए ग्रहण काल में रखा हुआ पानी या खाना नहीं खाना चाहिए।
- भोजन बनाकर रखा हो और ग्रहण लगने वाला हो तो उसमें तुलसी का पत्ता या कुश डाल देना चाहिये।
- ग्रहण काल के 12 घंटे पहले और 12 घंटे बाद तक के समय को सूतक काल मानते हैं। इस दौरान खाने-पीने से बचना चाहिए।
- ग्रहण काल के दौरान पहने हुए कपडे़ अशुद्ध हो जाते हैं। इसलिए जैसे ही ग्रहण खत्म हो कपड़ों सहित स्नान कर लेना चाहिए।
सूर्यग्रहण के कुछ रोचक तथ्य:-
- सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन लगता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अमावस्या के दिन चंद्रमा पृथ्वी के कक्षीय समतल के पास होता है।
- सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने से आंखों को नुकसान हो सकता है।
- जिस अमावस पर सूर्य और चंद्रमा एक ही अंश पर हों और उनका संबंध राहु-केतु से बन जाता है, उस अमावस्या पर सूर्य ग्रहण लगता है।
- पूर्ण सूर्यग्रहण होता है, हर 18 महीने में केवल एक बार।
- सूर्यग्रहण के दौरान, चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है।
- पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान, चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है।
- पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि कुछ सेकंड से लेकर सात मिनट तक हो सकती है।
- पूर्ण सूर्यग्रहण की सबसे लंबी अवधि 7.5 मिनट की होती है।
- पूर्ण सूर्यग्रहण के मार्ग में मौजूद लोग, सूर्य के कोरोना को देख सकते हैं।
- सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य को सीधे देखने से स्थायी सिरदर्द, स्थायी अंधापन और, बहुत कम मामलों में, मृत्यु के मामले सामने आए हैं।
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