हर वर्ष गणेश चतुर्थी में प्रथम पूज्य श्री गणेश जी के साथ मूषक की भी पूजा होती है, गणपति की मूर्ति लेते समय मूषक का भी ध्यान रखें।

गणेश जी की मूर्ति ऐसे लाए जिसमें वह बैठी हुई मुद्रा या ललितासन वाली मुद्रा में हो

गणेश जी की अधिकांश मूर्तियों में सूंड उत्तर दिशा की ओर होती हैं।  

 गणेश जी की सबसे शुभ मूर्ति वह मानी गई है जिसमें गणपति बैठे हुए और उनकी सूंड बाईं ओर झुकी है। सुख-समृद्धि और शांति लाने के लिए यह मूर्ति घर में लाऐ। 

गणेश जी की सीधी सूंड वाली मूर्ति सुषुम्रा स्वर होने के साथ इस मूर्ति की पूजा रिद्धि-सिद्धि, कुंडलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

दाहिनी ओर सूंड वाले गणपति जी की इस मूर्ति को दक्षिणा मूर्ति कहा जाता है ऐसी मूर्ति की पूजा से बड़े संकट दूर हो जाते है यह मूर्ति सिद्धि विनायक मंदिर में भी है।

गणपति जी से सुख-शांति और समृद्धि पाने के लिए उनकी मूर्ति के मुख को घर के मुख्य द्वार की तरफ रखें।

सिंदूर के रंग की प्रतिमा को घर में लाने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और इस रंग की प्रतिमा को उत्तम माना गया है।

 घर के उत्तर दिशा में गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करना शुभ मानते है क्योंकी यह दिशा मां लक्ष्मी और भगवान शिव की दिशा मानी गई है। 

पंचधातु की मूर्ति को घर में लाना शुभ माना गया है इसके अलावा मिट्टी से बनी गणेश  जी की मूर्ति को प्रायः सभी घरों में स्थापित किया जाता है।

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