द्रिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष ओणम 6 सितंबर को शुरू होकर 15 सितंबर को समाप्त होगा एवं इसका मुख्य दिन थिरुवोनम 15 सितंबर को है।

बड़े उत्साह के साथ ओणम का त्योहार केरल में मनाया जाता है। इसे थिर-ओणम या थिरुवोनम भी कहते हैं।

यह एक त्यौहार है जिसे केरल में वार्षिक फसल के उत्सव के प्रतीक के रूप में 10 दिनों तक मनाया जाता है।

ओणम के सभी 10 दिनों का अपना महत्व होता है और नाम भी जैसे अथम जिसमें फूलों के कालीन पूकलम के निर्माण के साथ त्योहार की शुरुआत होती है।

चिथिरा में पूकलम का विस्तार एवं घरों की सफाई की जाती है, चोधी में नए कपड़े खरीदे जाते हैं और विशाकम में भव्य ओणम पर्व के शुरू होते ही बाजारों में भीड़ लग जाती है।

अनिज़म में प्रतिष्ठित स्नेक बोट रेस का आयोजन किया जाता है, थ्रिकेटा में परिवार एकजुट हो जाते हैं और मूलम में कैकोट्टिकली और पुलिकाली जैसे पारंपरिक नृत्य किये जाते हैं।

पूरदाम में पूकलम को और भी फूलों से सजाया जाता है, उथरादम में अगले दिन के दावत की तैयारी की जाती है और आखिरी दिन थिरुवोनम में ओनासाद्य पर्व मनाकर समापन किया जाता है।

ओणम का जश्न असुर राजा महाबली की पाताल लोक में वापसी के लिए मनाया जाता है जो राक्षस राजा होने के बावजूद अपनी उदारता के लिए जाने जाते थे। 

किंवदंती के अनुसार भगवान विष्णु गरीब ब्राह्मण वामन के रूप में महाबली के पास जाकर उनसे तीन कदम जमीन मांगी और फिर महाबली के शासन वाली हर चीज़ को दो कदमों में ही कवर कर लिया।

अपने वादे का सम्मान कर महाबली ने तीसरे कदम के लिए अपना सिर प्रस्तुत किया जिससे विष्णु ने प्रभावित होकर उन्हें हर साल पृथ्वी पर लौटने की अनुमति दी।

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